मुसीबत में खड़ा है मुल्क तू अब जात में न जा
जो नेता याद आये तो तू उसकी बात में मत जा
वो तो खुद को चरम पंथी धरम पंथी बताता है
और पाके सीट बह हर सैय को तेरी बह भूल जाता है
कभी खाने को जिसके घर में यू तो रोटिया न थी
वो सोने के घरो में आसिया आपना बनता है
कभी जो घूमता था एक सस्ती सी लंगोटी में
रुपये लाखो के वो तो आज एक रूमाल लेते है
superb
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